गरिमामयी आँचल

“Give the ones you love wings to fly, roots to come back to and reasons to stay.”
Dalai Lama XIV

गरिमामयी आँचल/वटवृक्ष की छत्रछाया
पर आज कुछ शब्द


चंचलता चपलता से विभोर
क्षणों में भी कुछ क्षण थे
जब वो लिपट लिपट कर रोए
कुछ सुकून उन्हें मिला तो कुछ तर हम भी हुए 

सच है, हर पुकार को है एक आँचल की दरकार
और हर आँचल को प्यार की आस बेशुमार
पुकार और आस का जहाँ हो मिलन
वहीं ठौर पा जाए हर धड़कन

क्योंकि पेड़ सा आँचल हो
छत्रछाया देनेवाला वटवृक्ष हो
भटका पथिक हो
असमंजस बेहिसाब हो
तो सिमटेगा ज़रूर
उस आँचल की गोद में
वटवृक्ष की ओट में

दिलदार वटवृक्ष 
भी बरसाएगा अपना सब कुछ
आसरा दे, जीवन की ललक बरसा
वो फिर आज़ाद कर देगा
पथिक को 

और कह कर अलविदा
रूबरू होगा
फिर एक बार, वह दानी अपनी खुदाई से 
दोहराने, अपने इस रूप को
बरसाने एक ममतामयी स्वरुप को

-- अर्चना टंडन


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