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Showing posts from December, 2014

मेरे अपने

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मेरे अपने  बच्चे आए  आकर लिपट गए  नानी ,चाची माँ मम्मी  शब्द चारों तरफ बिखेर कर बेइंतेहा सुकून कहीं  अंतर्मन को पंहुचा गए   पुराने लम्हे लौटे थे  खिलौने ,किताबें कपडे बिखरे थे  जय ने बिस्तर पर से  जो कुछ समेटना चाहा  तो आवाज़ आई मम्मी  " इनका तो बहुत मुश्किल है " बहुत जाना पहचाना सा लगा  बिट्टू द्वारा इजाद किया हुआ  सबकी जुबान पर चढ़ा हुआ   जय ने प्यार से  बच्चे के सर पर हाथ जो फेरा  तो बच्चा जोर से चिल्लाया  मम्मी संभालिये इन्हें  देखिये तंग कर रहे हैं  मम्मी फ़ौरन बच्चे की तरफदारी करने लगीं  और पापा मुस्कुराते हुए  चल दिए  रात स्काइप से सब कनेक्ट हुए  टट्टी -पॉटी शब्द सुनाई  दिए  जैसे बिना इन शब्दों  के कुछ अधूरापन सा था और इन्हें सुन सबकी हंसी में कहीं एक अपनापन सा था बिट्टू मोटी,टिड्डी छोटी  कुक्की थे पार्ले ,  मिन्नो थीं मिनी ताऊ चचा थे बाबूजी के तीन बन्दर  तो मोनू थे सब बच्चों के चेंज ओवर ताई  थीं सबको बहुत ही  प्यारी  और म

Dare to be who you are

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Dare to be who you are  People will cheat you , People will ridicule you , People will malign you , Don't bother ,dare to be who you are !!  Say what you ought to say , Do what you ought to do , Protest when you ought to protest , Don't bother ,dare to be who you are !!  Stand up for the oppressed , Fight for the fraudulently disgraced , Corner the deceitful double - faced  Don't bother ,dare to be who you are !!  Pray for justice to prevail , Know that peace it entails , Fear not the ghastly tales , Don't bother , dare to be who you are !!  Attempt to follow the unexplored trails , As you go by tighten your sails , Never  afraid of the whining gales , Go as you should , Daring to be who you are !!                                          -- ARCHANA TANDON

ये कैसा इन्साफ ?

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  ये कैसा इन्साफ  ? ये कैसा इन्साफ है तेरा हे ईश्वर  मासूमों पर ये ज़ुल्म क्यूँ ? ये देहशत्गर्द भी तो हैं  तेरे ही बन्दे  तो उनपर तेरी पकड़ ढीली क्यूँ ? ये तो फूल थे किसी बगिया के  इन्हें तो अभी पूरी तरह खिलना था  तू बचा न पाया इन्हें उन दैत्यों के चंगुल से  और वो दैत्य उजाड़ गए घर सैकड़ों के  बता इन मासूमों पर हुआ ज़ुल्म  कैसे मैं बर्दाश्त करूं ? तू है , यक़ीनन है  इस पर  कैसे मैं विश्वास करूँ ? तू है तो इन रोती बिलखती माओं को यकीन दिला  उन देह्शत्गर्दों को दे उनके किये की सजा  अगर है कहीं तू तो आ सामने आ  पाप पुण्य और इस जीवन चक्र का गणित मुझे समझा नहीं रह गया यकीन मुझे तेरे होने पर अब  कुछ चमत्कार दिखा लौटेगा मेरा  विश्वास तेरे होने पर तब  अर्चना टंडन 

घुटन सी महसूस होती है मुझे

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चाह कर भी जब कभी सच नहीं कह पाती सच के लिए नहीं खड़ी हो पाती आवाज़ उठाती हूँ पर घोंट दी जाती है कभी समाज के ठेकेदारों द्वारा कभी अपने ही किसी करीबी द्वारा इस डर के की ये ज्वाला उन्हें कहीं जला कर राख न कर दे उनकी बरसों कि कमाई इज्ज़त को कहीं ख़ाक में न मिला दे समझौते वाले किन्तु केवल ऊपरी तौर से शांत से वातावरण में कोहराम कहीं न मचवा  दे   तो चाह कर भी अपने को मैं रोक नहीं पाती   और कह देती हूँ एक सच जिसे कहने में सबकी भलाई मैं समझती हूँ  और जब कहती हूँ तो ये नहीं देखती कि सामनेवाला शख्स दोस्त है या फिर हो रिश्तेदार कह देती हूँ बेहिचक फिर चाहे  हो वो कोई अपना ही पालनहार गलत है अगर वो शख्स तो उसे बता उसका ही भला चाहती हूँ नहीं कह पाती जो गलत को गलत तो ग्लानी में जल जाती हूँ किसी को नीचा दिखा नहीं कमानी चाही कभी भी प्रशंसा  पर अपने या किसी और के अधिकार दिलाने की सदा ही रही मेरी मंशा अगर अपना समझते हैं  तो आत्म-मंथन कर के देखें  कहा है जो मैंने उसपर गौर करके देखें  अगर फिर मेरे कथन में कहीं भी सत्यता  नज़र आए और  एक अपनत्व का बोध तुम