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Showing posts from November, 2016

दौर चुनावों का

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सत्ता के गलियारो में आज फिर क्यों शोर है लगता है सिंघासन डगमगाने का चल रहा दौर है कौन देगा किसको पटकनी , जीत दर्ज करा रहेगा वोटों का धनी हर चौराहे पर इन्ही चर्चाओं का दौर है जात पात, भाषा, पंथ गिना नेताओं में आज फिर उपजी होड़ है लगता है चुनाव नहीं यह कोई जंग का मैदान है अपनत्व का नहीं यहाँ नामो निशान है टीवी, अखबार सोशल साइट्स और मीडिया पर शोर है प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष आज फिर इन्ही चर्चाओं का दौर है यहाँ भाई भतीजावाद अपने चरम पर है दामन थामना और पटकनी देना, यहां आम है जिनके शब्दकोष में ईमान और भरोसा शब्द रहे न कभी ऐसे ईमान और रसूक वालों की यहाँ होड़ है सत्ता के गलियारो में आज फिर क्यों शोर है लगता है सिंघासन डगमगाने का चल रहा दौर है फिर क्यूँ जाए आम जनता वोट देने बीके हुए चुनावों का बहिष्कार वह क्यूँ न करे जहाँ कलुषित चरित्र वालों का जोर है और सद्चरित्र को कलंकित दिखाने का मच रहा शोर है आखिर कब तक ये खंडित व्यक्तित्व वाले ही चुनाव में दिखेंगे जो मुंह में राम और बगल में छुरी रख अपना रसूक कायम करेंगे सब बुद्धिजीवियों को जगाने का च

Understanding the word democracy

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Democracy is a game of fools ...said by a great thinker long back .... and he was not wrong in saying so .... The cancerous situation of black money, booth capturing, paid / manipulated voters, casteism,etc etc ...is for all of us to see ... Can we say that Democracy breeds manipulators ? But we can understand that only democracy preserves the rights of each individual and so is the most desired mode of governance if each individual becomes aware of the matters and the constitution is followed word by word without resorting to appeasement and manipulations . For this we need a strong leader who believes in and is capable of taking decisions as the head of a democratic nation and is a nationalist and has the power to implement the just conclusions arrived at through open discussions and debates . With increasing internet awareness and it reaching remote areas, cross sectional voting percentage can be increased if we make voting process (not only for candidates but for important d

The untouchables

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The old , The widows living a life  As if residing in prisons  Yes ,I had witnessed a group of them Going back as they were After prayers In Mathura from a temple  To their abode  Which was an ill lit building Bald heads ,white sarees Spelling their doomed state  I tried to start a conversation But they had nothing to say  Giving me a vacant look They walked away  One of them  Seemed to have some life left I approached her And she softly related  The hardships they faced As they remained caged To the mercy of few moneyed Who used them  And their conditions  To convert their funds To charitable trusts …. Dr Archana Tandon

Conserve forests

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पेड़ की कहानी उसने कभी किसी को पराया न समझा अपना ही समझा  छाँव दी ,फल दिए ,फूल दिए  कटने पर भी आह न की इस्तेमाल होता रहा वो लोगों के लिए जिन्होंने एवज में उसके वाहवाही कमाई  और फिर उस पर ही आरी चला  उसे पराया कर दिया डॉ अर्चना टंडन

परिपेक्ष्य

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हमसे वो बोले कि मैडम अपनी भाषा सुधारिये  हम आज तक नहीं समझ पाए  कि उनको हमारी सुसंस्कृत भाषा खली  या फिर भाषा की दिशा  या सच्चाई की परिभाषा वक़्त किसी का नहीं होता  आज तुम्हारा कल मेरा चरित्र अपना होता है  व्यक्तित्य अपना होता है  जो न कोई चुरा सकता है  न अपना सकता है  उसपर नाज़ करो  उसकी रक्षा करो डॉ अर्चना टंडन 

भारत का पुनः सोने की चिड़िया बनना ?

मेरी ( layman in finances ) की एक सोच 500 और 1000 के नोट बंद हो गए । लोग या तो पैसा बैंक में जमा कर रहे हैं या सोना खरीद रहे  हैं । बैंक में जमा करेंगे तो एक तो money accounted होगा ।सरकार को टैक्स मिलेगा । दूसरा सुप्त पैसे का उपयोग entrepreneurs को loan देने व विकास की योजनाओं में लगाने में होगा । देश का विकसित देशों से loan का भार कम होगा और money generation का विस्तार हो पाएगा , job generation होगा तो unemployment भी tackle हो पाएगा । सोने में investment यानि सोने का वापस घरों में से लाकर में जाना । भारत का पुनः सोने की चिड़िया बनना ... जहाँ तक मेरी knowledge है मुद्रा का छपना सोने के भण्डार पर निर्भर करता है । I definitely see lockers as the next target to increase the amount of currency that govt can get printed for unaccounted gold to lessen the loan burden on India ... वाह मोदीजी आपने अपने एक वार से न केवल गलत कामों में लगे काले धन पर रोक लगा दी बल्कि भारत का राजस्व बढ़ा loan का भार कम करने का व भारत को पुनः सोने की चिड़िया बनाने का इंतज़ाम भी कर लिया। मोदीजी की विकास-शील सो

सठियाना

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हम जो सठिया गए हैं शायद new born हो चले हैं हममे से कुछ तो preterm हो  Incubator में temp control के लिए पड़े हैं और कुछ ऑक्सीजन mask लगा जिंदगी के लिए जूझ रहे हैं कुछ newborn तो मदमस्त हाथ पैर फ़ेंक खुद हंस दूसरों को हंसा जीवन का एक नया अध्याय रच पा रहे हैं तो कुछ चुपचाप पड़े चारों तरफ सर घुमा निगाह को कहीं एकटक रुका संसार का गणित समझने की कोशिश में लगे हैं कुछ तो चेहरे पर विभिन्न भाव दर्शा कभी मुस्कुरा जैसे पिछली यादों में खो से गए हैं ये परिभाषाएं newborn,teenage, adult, old age हमें परिभाषित नहीं कर सकतीं सीमित नहीं कर सकतीं Moron व Progeria दर्शाती हैं कि इंसान की शारीरिक व मानसिक शक्ति की सीमा को बाँधा नहीं जा सकता उम्र से प्रत्येक जीवन की सीमा एक ईश्वरीय वरदान है तरीके अनेक हैं सलीके अनेक हैं पर पैमाना सबका ऊपर से ही तय होके आता है डॉ अर्चना टंडन

उड़ान

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तेरी उड़ान देख  प्रफुल्लित होती हूँ मैं मुरझाती नहीं  मेरा अस्तित्व फिर लेता है  एक नया स्वरुप प्रस्फुटित होती हैं  रंग-बिरंगी स्वप्न स्वरूपी  रूपहली कोमल  टहनियां व पत्तियां जो दर्शाती हैं  मेरा प्रेम, मेरा विश्वास तेरे आत्म बल पर और इन्तज़ार करती हैं अगले वसंत का  तेरी एक नई उड़ान का  एक नई उपलब्धि का डॉ अर्चना टंडन