Posts

Showing posts from February, 2019

तुम

Image
बेहद करीब से देखा और महसूस किया है तुम्हें संजीदगी में है तुम्हारे एक दीवानापन और शराफत में   है छिपी एक हसीन शरारत सीखने को आतुर तुम सिखाते हो तरतीब से और जगा जाते हो अपने पीछे एक सीखने की ललक एक एहसास,एक दीवानापन अवस्थाओं, संस्थाओं और परिस्थितियों को पार कर कुछ कर गुजरने की धुन डॉ अर्चना टंडन

अर्थशास्त्र का नीतिशास्त्र

Image
बाज़ारों की रुपहली रोशनियों की चकाचौध ने भुला दिये है सूर्योदय और सूर्यास्त के मायने दमकती लहराती अदाओं ने बदल दिए हैं फ़िज़ाओं के अफ़साने तो तुम भी पीछे क्यों रहो बाज़ारों का है ज़माना बाज़ार बनाओ और बाज़ार के तौर तरीके अपनाओ हर क्षण है यहां लक्ष्मी को समर्पित सरस्वती की आड़ में, दुर्गा की ओट में खेला जाता है यहां खेल सांप सीढ़ी का दाँव पे दाँव खेल बाज़ार बनाने का तो तुम भी पीछे क्यों रहो बाज़ारों का है ज़माना बाज़ार बनाओ और बाज़ार के तौर तरीके अपनाओ बदल गए हैं जब सांसारिक अस्पष्टता के सिद्धांत अर्थशास्त्र ही जब करता हो तय अस्पष्टता की स्पष्टता तो तुम भी पीछे क्यों रहो बाज़ारों का है ज़माना बाज़ार बनाओ और बाज़ार के तौर तरीके अपनाओ मोदीजी का कहा मान जाओ खुद समझो औरों को भी समझाओ कि नौकरी में क्या रक्खा है खुद बाज़ार बनाओ और बाज़ार में रम जाओ सुब्रमण्यम स्वामी का कहा अगर सच हुआ और आयकर ही खत्म हुआ तो छुपा कर रक्खी लक्ष्मी बाज़ार में आएगी इंसान के स्वामित्व से मुक्ति पा वो स्वछंद विचर पाएगी डॉ अर्चना टंडन

विरोधाभासी सँसार

Image
ऐसी भी है एक जात जिनकी नही है कोई बिसात न उनपे रही कभी कुर्सी न ही रहा कभी ताज फिर भी मुखर रहे वो हमेशा अपने वचनों और कर्मों में न रहा विश्वास उन्हें चरखी पर न ही कभी फिरकी पर और करते चले गए वो जुगत हमेशा समभाव और समानता के लिए किन्तु, इस प्रैक्टिकल दुनिया का खेल है निराला रीयलिस्टिक बेचारा बेमौत ही है मारा जाता  जब सरस्वती का चीर हरण कर प्रैक्टिकेलिटी की नींव पर लक्ष्मी का अलौकिक साम्राज्य  ही है सदैव स्थापित हो जाता डॉ अर्चना टंडन

हाथी के दांत

Image
वाह रे स्त्री तेरी भी क्या किस्मत रही तेरा नाम ले ले कर राजपाट लूटे गए बेचारगी परोस कर तेरा शोषण होता रहा और तू उफ्फ न कर सकी अमीर सफेदपोश बन गरीब को भ्रूण हत्या का पाठ पढ़ा अन्य तरीकों से वारिस पैदा करता रहा और गरीब बेटियों को पढ़ा लिखा दहेज जुटा कर भी अकेला का अकेला रहा मानों या न मानों ये कहानी कुछ और है दीखती कुछ है और होती कुछ और है डॉ अर्चना टंडन