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Showing posts from December, 2018

मोक्ष रूपी वरदान

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बिखरी बिखरी  ज़िन्दगी कहूँ तुझे याकि सिमटी हुई ज़िन्दगी कहूँ चौतरफा तलाश में भटकती  ज़िन्दगी कहूँ तुझे याकि स्थिर सी ज़िन्दगी कहूँ पल पल का हिसाब लेती  ज़िन्दगी कहूँ तुझे याकि पलों की तलाश में भटकती ज़िन्दगी कहूँ कविताओं में भटक आत्मिक रस तलाशती  ज़िन्दगी कहूँ तुझे या कैमरे में कैद होती  पल पल का हिसाब रखती ज़िन्दगी कहूँ विज्ञान में कला तलाशती ज़िन्दगी कहूँ तुझे  याकि कला नें विज्ञान तलाशती ज़िन्दगी कहूँ सपनों को यथार्थ में बदलती  ज़िन्दगी कहूँ तुझे याकि विद्यमान को कल्पित करती ज़िन्दगी कहूँ तलाश है तू याकि ठहराव है प्राप्य है तू याकि अप्राप्य है ये तो नहीं कह सकती पर ये निश्चित है कि  तुझे रंग बिरंगी ही कहूंगी स्याह सफेद नहीं क्योंकि तूने मेरे तरकश में विज्ञान, कला, गीत संगीत  के असीमित रंग भर इस अल्पकालिक स्वरूप को एक इंद्रधनुषीय फ़ैलाव दे असीमित स्वरूप प्रदान किया है डॉ अर्चना टंडन    

प्रकृति द्वारा सृजित सत्य?

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कैकेयी तो   एक पात्र थी न कुपात्र न सुपात्र उसने भी तो चक्र धरा था  छंगुली पे कि दशरथ न घिरें और बचाई थी उनकी जान युद्धकला में पारंगत वो एक योद्धा थी कि नहीं ये तो नहीं  कह सकती पर पत्नी धर्म का निर्वाह उसने बखूबी किया था राम वनवास गए  अपनी मर्ज़ी से उन्होंने खुद अपने लिए ये सज़ा तय की थी गुनाह था -असुरास्त्र का उपयोग जो न्यायसंगत न था राज्य की न्याय व्यवस्थानुसार और वो थे एक न्याय के पुजारी(Scion of Ikshvaku, by Amish Tripathi) राज्य की मांग पुत्र के लिए तो मंथरा (एक व्यापारी) की  कैकेयी का उपयोग कर खेली गई एक चाल थी राम द्वारा;  उसकी पुत्री के नाबालिग बलात्कारी को मौत की सज़ा न दिए जाने का नतीजा और भरत द्वारा  उसी नाबालिग बलात्कारी के वध  का इनाम कैकेयी तो माँ थी, पत्नी थी एक पात्र थी जिसने  पतिधर्म निभाने के स्वरूप मिले वचन का उपयोग अपने पुत्र के लिए  एक खाली सिंघासन की मांग के रूप में किया था डॉ अर्चना टंडन

The bicycle

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      My neighbours provide me my stories and I love relating them through my clicks and my poems.  Planned to  click  the white breasted Kingfisher, a regular visitor and the stray puppy   who is part of a family  of a  straymother and her four puppies; in one shot.  The kingfisher sat on a sariya(iron rod) just in front of me. The  puppy was seen in  the background I had the aperture set to  5.6  so shallow depth.  Waited and  hoped  that kingfisher would fly towards the puppy for me to get  the m in the same frame.  Was lucky to get  the log and tender plant in the same frame too.  Greenery and bricks  were already expected to be there.  The poem  came as an afterthought. This one pic which I had in mind as a shot was enough to relate the story by itself but not the  whole story of how it took shape So here I share the clicks that combine to relate the story. The mother and the pups when they were born about a week or 10 days back.   Serial