प्रकृति द्वारा सृजित सत्य?


कैकेयी तो 
 एक पात्र थी
न कुपात्र न सुपात्र
उसने भी तो चक्र धरा था 
छंगुली पे
कि दशरथ न घिरें
और बचाई थी उनकी जान
युद्धकला में पारंगत
वो एक योद्धा थी कि नहीं
ये तो नहीं  कह सकती
पर पत्नी धर्म का निर्वाह
उसने बखूबी किया था

राम वनवास गए 
अपनी मर्ज़ी से
उन्होंने खुद अपने लिए
ये सज़ा तय की थी
गुनाह था -असुरास्त्र का उपयोग
जो न्यायसंगत न था
राज्य की न्याय व्यवस्थानुसार
और वो थे एक न्याय के पुजारी(Scion of Ikshvaku, by Amish Tripathi)

राज्य की मांग पुत्र के लिए
तो मंथरा (एक व्यापारी) की 
कैकेयी का उपयोग कर
खेली गई एक चाल थी

राम द्वारा; 
उसकी पुत्री के नाबालिग बलात्कारी को
मौत की सज़ा न दिए जाने का नतीजा
और भरत द्वारा 
उसी नाबालिग बलात्कारी के वध 
का इनाम

कैकेयी तो माँ थी, पत्नी थी
एक पात्र थी जिसने 
पतिधर्म निभाने के स्वरूप मिले
वचन का उपयोग
अपने पुत्र के लिए 
एक खाली सिंघासन की मांग
के रूप में किया था

डॉ अर्चना टंडन




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