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Showing posts from January, 2020

केसरिया चाय बनाने का सलीका

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शादी के लिए बनारसी साड़ियाँ खरीदने का था पूरा माजरा साड़ियों की हट्टी पर बैठने का था मेरा ये पहला वाकया ठठेरी बाजार वाराणसी के चौराहे की कुछ बत्तीस साल पुरानी है ये घटना जहाँ पसंद नापसंद की बिन बोले गर्दन हिला व्यक्त करनी थी अवधारणा असमंजस व थकान से सराबोर जब निपटे थे सारे लेन देन के मामले तो विश्वनाथ गली के मुहाने पर चायवाले को देख  अनायास ही खिल गए थे हम सबके चेहरे हाँ यही वो जगह थी जहाँ से सीखा था मैंने काढ़ा चाय बनाना जो ज़िन्दगी के लिए भी दे गया था एक सबक सुहाना एक अदने से लड़के ने मुस्कुराते हुए बराबर मात्रा में  दूध और पानी था मिलाया अदरक और मसाला डाल उबाल आते ही पैन को उठा बार बार था हिलाया पूरी प्रक्रिया को शिद्दत से था वो बार बार दोहराता फेने के बैठते ही फिर पैन को चूल्हे पर रख उबाल का इंतज़ार वो था करता जब फेने का रंग  चाय के रंग से था निखरता तब कहीं जाकर वो फिर एक बार अच्छे से घुमा चाय को था ग्लॉस में था लौटता जी मैंने वहाँ सिर्फ काढ़ा चाय बनाना ही, नही था सीखा सीखा भी था मैंने  उतार चढ़ाव में बहते हुए, रंगों को

बेमक़सद

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ज़रूरी नहीं मक़सद ही हो हमेशा कभी बेमक़सद ही गुफ़्तगू करके देखो अगर ढूंढोगे मक़सद अपने हर कृत्य में तो खाली हाथ ही रह जाओगे सदा कभी तो सिर्फ चलने के लिए चलो और कभी सिर्फ मुस्कुराने के लिए मुस्कुराओ कभी तो प्रेम को अंकुरित होने दो सिर्फ प्रस्फुटित होने के लिए ज़रूरी नहीं कि मक़सद ही हो हर दान के पीछे  कभी बेमक़सद ही दान करके देखो अक्षर जुड़ेंगे शब्द बनकर बहेंगे इन्हें भी कभी बेमक़सद बहा कर देखो रूप तो ये फिर भी धारण कर लेंगे जब ये बह निकलेंगे बेमक़सद शायद तब इनका महत्व शिरोधार्य होगा क्योंकि मक़सद के गर्त में हमेशा पारस्परिक लाभ की कामना है और बेमक़सद हमेशा संग लिए है खुद में खुद का सार डॉ अर्चना टंडन

गुफ़्तगू

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पत्ते लगे झड़ने और खड़खड़ाने हल्की ठंडी बयार में धूप मुरझाने लगी चिड़ियों की चहचहाट लगी गूँजने और अदरक का स्वाद लिए  चाय की चुस्कियां भाने लगीं सर्दी की शांति में ध्वनियों की गूंज फिर लगी देने सुनाई  और इस आनंद में हल्की सी याद  इम्तिहान की भी कहीं आई स्कूल कॉलेज के इम्तिहान में तो अव्वल ही रहे थे हमेशा अब तो ज़िन्दगी के इम्तिहान के नतीजे की बारी थी आई क्या वो होगा अतीत का ही प्रतिबिम्ब या कि होगी एक नई परिभाषा परिभाषित यही था आज का प्रतिवेदन और आज की आपसी गुफ़्तगू डॉ अर्चना टंडन