अर्थशास्त्र का नीतिशास्त्र



बाज़ारों की रुपहली रोशनियों की चकाचौध ने
भुला दिये है सूर्योदय और सूर्यास्त के मायने
दमकती लहराती अदाओं ने
बदल दिए हैं फ़िज़ाओं के अफ़साने

तो तुम भी पीछे क्यों रहो
बाज़ारों का है ज़माना
बाज़ार बनाओ और
बाज़ार के तौर तरीके अपनाओ

हर क्षण है यहां लक्ष्मी को समर्पित
सरस्वती की आड़ में, दुर्गा की ओट में
खेला जाता है यहां खेल सांप सीढ़ी का
दाँव पे दाँव खेल बाज़ार बनाने का

तो तुम भी पीछे क्यों रहो
बाज़ारों का है ज़माना
बाज़ार बनाओ और
बाज़ार के तौर तरीके अपनाओ

बदल गए हैं जब
सांसारिक अस्पष्टता के सिद्धांत
अर्थशास्त्र ही जब करता हो तय
अस्पष्टता की स्पष्टता

तो तुम भी पीछे क्यों रहो
बाज़ारों का है ज़माना
बाज़ार बनाओ और
बाज़ार के तौर तरीके अपनाओ

मोदीजी का कहा मान जाओ
खुद समझो औरों को भी समझाओ
कि नौकरी में क्या रक्खा है
खुद बाज़ार बनाओ
और बाज़ार में रम जाओ

सुब्रमण्यम स्वामी का कहा
अगर सच हुआ
और आयकर ही खत्म हुआ
तो छुपा कर रक्खी लक्ष्मी
बाज़ार में आएगी
इंसान के स्वामित्व से मुक्ति पा
वो स्वछंद विचर पाएगी

डॉ अर्चना टंडन





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