नवाज़िश करम शुक्रिया मेहेरबानी


नवाज़िश करम शुक्रिया मेहेरबानी 
This is a poem which I wrote to  thank my local branch IMA members for the co-operation they extended to me as I went on with the preparations to organise the  annual CME of IMA Moradabad as Organising Chairperson


इक राह चली  थी 
न कुछ पाने की चाह 
न कुछ खोने का डर 
कुछ खुद पर भरोसा था
और  कुछ अंतरात्मा की
इक चाह का असर
आसान तो  नहीं थी
किन्तु कठिन भी न थी ये डगर


कुछ सहारा  था तो 
कुछ हौसला खुद बटोरना  था  
कुछ   सीखना  कुछ सिखाना तो  कुछ निभाना था 
एक खाका बनाना था और उसमे रंग भरने थे 
साधन जुटाने थे गंतव्य तक पहुँचाने थे 
अपनी अपनी विधाओं में पारंगत जनों का संगम बनाना था 
उनसे अपनी IMA फैमिली को लाभान्वित कराना था 

 

दोस्ताने  ने सबके कुछ ऐसा रंग जमाया
हौसला हम सब कार्यकर्ताओं का ऐसा बढ़ाया 
कि  मुड़  कर न देखा फिर किसी ने भी पीछे 
और गंतव्य तक पहुँचने की चाह रखती थी हम सबको खींचे 


आप सब ने भी  मिलकर साथ   खूब निभाया
और ईश्वर का भी रहा हम सब पर सरमाया 
धीरे धीरे दिन बीते और वो दिन भी आया 
की जलसे ने आप सबका  दिलो - दिमाग  बहलाया 



हमको  जो हासिल हुआ उसका आप सबको बहुत बहुत शुक्रिया
हमें सदा  हौसला  देने की ही रही आप सबकी प्रतिक्रिया
बड़ों  ने छोटों  ने मिलकर जो साथ हमारा निभाया
तो सरस्वती के दिए ने  प्रज्वलित हो खूब प्रकाश फैलाया 
--- अर्चना टंडन  





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