परिलक्षित प्रतिबिम्ब




बेतकलुफ्फी है या कि बेवकूफी 
बर्दाश्त है या कि बादशाहत 
क्यूँ हम गैरों में ढूंढते हैं हल 
जब परेशान हो हमारा अंतर्मन 

क्या गैरों को बदलने से बदलेगी ये परेशानी 
या कि बनना होगा हमें अन्तर्ध्यानी ?
गर ढूंढेंगे हम अपनी ख़ुशी दूसरों को बदलने में 
तो नित नई समस्या खड़ी होगी इन जीवन के रास्तों में 


-- अर्चना टंडन  


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