ॐ 



क्या अमीरी और क्या फकीरी 
खुशियों के लिए क्या है ज़रूरी 
एक तृप्त मन और तृप्त आत्मा 
बस इतनी ही दरकार है मेरी,हे परमात्मा


क्या जुस्तजू क्या आरज़ू 
क्या रहमतें क्या इबादतें 
है अगर विश्वास खुदा कि खुदाई में 
तो फिर डर क्यों इस तक़दीर कि आज़माइश में

--अर्चना 




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