आग़ोशे -- तन्हाई






आगोशे – तन्हाई


जली हूँ मैं कहीं रोशनी बिखेरने के लिए
  
जान कर भी कि इस जूनून का अंत रुसवाई है

तनहा न समझ तू मुझे

सुकून मिला है मुझे इस आगोशे तन्हाई में

अर्चना टंडन 



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