एक अर्थपूर्ण सफर की प्यास




जिस रचना में एहसास

को महसूस न कर सकें

जिस रचना से ईमान पर 

लगाम न कस सकें

जिन रचनाओं को शाब्दिक लहू से सींच न सकें

ऐसी ग़ज़ल में कुछ कमी महसूस होगी मुझे


हर रचना में एक सच्चाई हो

कुछ कल्पना कुछ गहराई हो

ऐसा कुछ लिखें और रचें हम

कि नासमझी के 

अंधेरे को कम कर सकें हम

रचनाओं से अपनी एक जीवंत संदेश दे सकें हम

उत्साह और समझ से

सही को सही और गलत को गलत

ठहरा सकें हम

भागते ज़माने को ठहराव दें

और ठहरे ज़माने को चला सकें हम

कुछ को सहारा दें

तो कुछ से सहारा पा गति पा सकें हम


ऐसी रचना की कल्पना में

मैं भी चल तो दी

पर क्या इसे पूर्ण  कर पाऊँगी

पूर्ण विश्वास है चलूंगी तो पहुँचूगी भी

और अंतर्मन को कहीं विश्राम भी दे पाऊँगी 


अर्चना 





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