कोविड काल के सकारात्मक एहसास




कोविड काल की कृपा कहूँ इसे
या ईश्वर की मनुष्य को सत्यता के एहसास कराने की तरकीब
कि चारों तरफ फैली बीमारी की भयावह तस्वीर में भी
दीखती है मुझे सकारात्मकता की एक तस्वीर


डॉक्टर जो लाठी डंडों से पीटे जा रहे थे
वो आज फिर देवता स्वरूप समझे जा रहे हैं
मौत की परवाह किये बगैर
जो कर्तव्य पथ पर निरंतर चलते जा रहे हैं
कहीं उन पर आज पुष्पवर्षा हो रही है
तो कहीं स्वागत हो रहा है तालियों और शंखनाद से 
शुक्रिया कोविड काल का कि जिसने  बहुत सारे एहसास लौटा दिए हैं


एक समय था जब रास्तों और गलियों में शोर था,
और घरों से जीवन विलुप्त था
आज जब गलियां और रास्ते वीरान हैं
तो घरों के कोने कोने में जैसे जीवन व्याप्त है
छतों पर फिर किलकारियों की गूंज है
और आंगन में प्रतिध्वनि है चहकती आवाजों और कहकहों की 
शुक्रिया कोविड काल का कि जिसने बहुत सारे एहसास लौटा दिए हैं


डॉ अर्चना टंडन




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