मेरी प्रार्थना



मातृभक्ति, पितृभक्ति हो या हो गुरुभक्ति
पुत्र प्रेम हो या कि हो पुत्री प्रेम 
या हो अर्धांगिनी बन भर्तार प्रेम
जो भी किया बड़ी शिद्दत से किया

डॉक्टर बन इलाज करना हो
या दान -दक्षिणा दे 
आत्मिक सुख का अनुभव
जो भी किया बड़ी शिद्दत से किया

सांस्कृतिक रुचियों को पंख दिए
जीव जंतुओं से प्यार किया
उन्हें स्वछंद विचरते हुए 
कैमरे में कैद भी बड़ी शिद्दत से किया

जो भी किया प्रार्थना स्वरूप किया
तुम्हारे रूप को आत्मसात कर किया
शायद ये शिद्दत ही मुझ में तुम्हारा स्वरूप था
और यही थी मेरी प्रार्थना

© डॉ अर्चना टंडन

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