बुनियादी सच्चाईयाँ



एक वो दिन थे
जब हम प्रतिद्वंदी थे
एक एक नंबर के लिए
लड़ा करते थे
एक आज का दिन है
कि हम एक दूसरे की सफलता पर
इतरा रहे हैं, नाच गा रहे हैं
कुछ होते थे ज्ञान के भण्डार
कुछ दोस्ती की मिसाल
कुछ खुद में सीमित
तो कुछ का दायरा असीमित
कुछ प्रेम पुजारी
कुछ ब्रम्हचर्य के स्वामी
ध्येय सबका एक था
अपनी पसंद की speciality में
महारथ हासिल करना
ज़िन्दगी की सच्चाइयों से अनभिज्ञ
हम खुद स्वयंभू हुआ करते थे
कभी सहमे से
कभी आत्मविश्वास से भरे
कभी तनहा, कभी झुण्ड में
कभी ग़मगीन, कभी ठहाके मारते
हम मदमस्त विचरा करते थे
कॉफी हाउस, लाइब्रेरी
कॉलेज के सामने की
मंगौड़ों की दुकान
कुछ के मिलने के
तो कुछ के ख्याली पुलावों
को परवान चढाने के
अड्डे हुआ करते थे
मेडिकल के विषमताओं से
भरे जीवन के लिए
मधुशाला के समकक्ष हुआ करते थे
और आज जब तीस साल बाद मिले हैं
तो हमें एक दुसरे पर गर्व है
ये रीयूनियन हमारी सफलताओं का पर्व है
इन तीस सालों की दूरी ने हमें करीब ला दिया
या व्हाट्सएप्प और फेसबुक ने अपना करतब दिखा दिया
ये तो नहीं कह सकती
पर हाँ, विश्वास से कह सकती हूँ
कि हम सब एक ऐसे परिवार का हिस्सा हैं
जो अपने आप में बेमिसाल है, लाजवाब है
सम्पूर्ण है
कुछ दूरदृष्टि वालों के अथक प्रयास का फल है

डॉ अर्चना टंडन
1978 batch
NSCB MEDICAL COLLEGE




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