कलमकारी


 

कलम तेरी जो

सत्य मजबूती से बयाँ कर सके

राजनीतिक दबाव को परे हटा

यथार्थ संवेदना पूर्वक लिख सके

बिना झुके

गंभीर सामाजिक मुद्दों की

पूर्णता दर्शा सके

तो समझ लेना ज़मीर को ज़िंदा रख

तू आज भी स्वछंन्द है आज़ाद है

डॉ अर्चना टंडन


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