बीज जो बोए



बोती हूँ

उगेगा क्या 

नहीं जानती

कुछ रंग खिलें

कुछ सुगंध बिखरे

मंशा लिए 

बीजों को 

बोके ही 

खुश हो जाती हूँ

-अर्चना

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