तलाश खुद की


शरीर कहता है आत्मा से-
जुदा हूँ मैं तेरी अपेक्षाओं से
लपेटे हूँ अपनी दबी आकांक्षाओं को
मुक्ति की तलाश में
तेरे बाहुपाश से निकल
अपनी उड़ान का आसरा लिए
उड़ना चाहता हूँ
ताकि जब हम मिले
तो मुलाकात सतही न हो
तुम्हारे मेरे दरम्यान फासले न हों
और चिरकाल के लिए
तुम मुझमें और
मैं तुममे ठौर पा सकूँ
तो आत्मा बोली-
नहीं है मेरे तुम्हारे दरम्यान कोई फ़ासला
कोई गिरफ्त का रिश्ता
तुम जहां जाओगे
संग मुझे पाओगे
मुझे आत्मसात कर ही ठौर तुम पाओगे
लहराओगे, जगमगाओगे जब
खुद में खुद को पहचान पाओगे
खुद को पीछे छोड़
क्या कभी तुम खुश रह पाओगे
क्योंकि तुम्हारा मेरा रिश्ता शायद
ऐसा है जैसा स्त्री के लिए
एक प्रेम के रिश्ते का


डॉ अर्चना टंडन

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