अस्तित्व






आज आहत हुई सच जान 
कि रिश्ता रिश्तों में नहीं 
उम्मिदों और आकांक्षाओं के पूरा होने में है 
उम्मीद किसी की पूरी किये जाओ 
अपेक्षाओं का गला कुचले जाओ 

निभाए जाओ हरेक की चाह 
देवता कहलाओगे 
ऐसा भी क्या देवता कहलाना 
इससे अच्छा नहीं क्या खुद को पाना 
खुद के साथ समय बिताना 
कुछ लिखना,कुछ खोजना कुछ अप्रतिम पाना 
जलना है तो खुद की आग में जलो 
आंच नहीं खलेगी 
रोशनी अलग रौशन करेगी ....................

डॉ अर्चना टंडन



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