जीने कि राह



छोटे छोटे सपने छोटे छोटे ध्येय
अस्तित्व को मेरे मिटने  न दें

नित नए देखूं ,
देख देख सोचूँ
सोच समझ फिर
दूं उन्हे विस्तार


होने पर भी पूरे कभी ,
इत्मिनान न मैं पाऊँ
अधूरे रहने का भी कभी ,
मलाल न मैं  मनाऊँ

उन्हें ज़िन्दगी का  हिस्सा मान
 जिंदादिली अपनी  बढ़ाती जाऊं

 आरजूओं  के अपने एहसास पर ही
क्यूँ न , जियूं  और  मुस्कुराऊँ

अर्चना टंडन



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