खुद को कैद क्यों करो



खुद को कैद क्यों करो 

खुद को कैद क्यों करो
करो कि तुम अपना सच देख सको
  समाज के बंधन कितने सच हैं यह जान सको
करो कि आत्म -मंथन कर सको
और तुम अपने आप को पहचान सको

खुद को कैद क्यों करो
करो की समाज की जकड़न से उभर सको
चारों तरफ फैली ज़ंजीरों को सुलझा  सको
अपनी समझ और भावनाओं को विस्तार दे सको
पढ़ो खोजो और समझो कि तुम्हारे जैसे अनेक हैं
जो तुम्हारी तरह सोचते हैं जीते हैं
और तुम इस क़ैद से फिर ख़ुशी ख़ुशी मुक्त हो  सको

खुद को क़ैद क्यों करो
खुद को क़ैद करो, एक बेबसी के लिए नहीं
एक बदलाव के लिए 
एक सोच के लिए
आत्म  विश्लेषण के लिए कि इस क़ैद से तुमने क्या पाया
जानने के लिए कि  सत्य और विश्वास ही जड़ें हैं सब शक्तिओं की

खुद को क़ैद क्यों करो
यह जानने के लिए कि क़ैद सजा नहीं है
क़ैद इंसान को मार नहीं सकती
कैद की विपरीत परिस्थियाँ इंसान को तोड़ नहीं सकतीं 
जितना कि उस कैद की  विपरीत परिस्थितिओं को  बर्दाश्त 
करने में  अधीरता
क़ैद इंसान को सिखाती है
कि क़ैद का उपयोग स्वाध्याय के लिए कैसे करें

खुद को क़ैद क्यों करो
अपने को अपनी क़ैद में 
रखने को वैधता हासिल है
ये हमारा अधिकार है कि हम अपने आप को जान 
सकें
हम क्या चाहते हैं ये हमारा अपना खुद का परिपेक्ष्य है
समस्याएं नहीं होती समझ का अभाव होता है
क़ैद समझ को दिशा देती है

खुद को क़ैद क्यों करो
हसीं मज़ाक इंसान को सोच और आत्म  मंथन से मुक्त कर
दूर बहुत दूर एक स्वप्न लोक में ले जाते  हैं 
जहाँ कभी  खोखलेपन का एहसास
होता है
और कभी  इस हसीं मज़ाक में  
अकाट्य सत्यता का भी  
बोध होता है
कभी डर  लगता है  कि 
उथली न समझी जाए  ये 
सोच
ये डर और ये क़ैद फिर 
आत्म विश्वास लौटाती है

कैद में रह कर  
जो खुद को ढूंढोगे तो 
खुद को पाओगे
और खुद को पहचान पाओगे 
दूसरों की नज़र से नहीं
अपनी नज़रों से 
अपनी सोच को पर दे सकोगे 
उड़ान भर सकोगे  बिना किसी ग्लानि के
दूसरों को भी उनकी सोच की मुबारकबाद दे सकोगे 
और मदमस्त फिर अपनी 
राह पकड़ सकोगे 
--अर्चना 


Comments

Unknown said…
Very nicely written,till now I m not very comfortable wid being alone,kind of afraid of my vague n weird thiking...but ir beautiful explaination made me ponder...lets do it...khud ko kaid karey...thanks for tthe blog..superlike it...
Thank you whoever you are

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