सफ़र वहां तक का



मैंने तुमसे कब कहा
तुम साधू हो जाओ
संत बन जाओ
सच बोलने की कसमें खाओ
तुम तुम रहो बस
मुझे मैं रहने दो

तुम्हारा मेरा तरीका
भिन्न हो सकता है
पर ध्येय तो एक है न
तो इत्मीनान रक्खो
सफ़र जारी रक्खो

अलग अलग रास्तों पर चल
भी तो हम वहीँ पहुंचेंगे
मिलेंगे और गुफ्तगू करेंगे
 क्योंकि यकीन है मुझे
रास्ता अलग अलग ही सही
पर ध्येय तुम्हारा मेरा एक है
झूट सच की नहीं है कीमत
जब इरादा नेक है

डॉ अर्चना टंडन 


Comments

Popular posts from this blog

VIOLENCE AGAINST DOCTORS

खुद्दारी और हक़

रुद्राभिषेक