शह और मात
पता नहीं क्यूँ पर शह और मात का खेल उसे भाया न कभी
चाल भी दूसरों को मात देने की खेल न पाया वो कभी
अपने ही रंग ढंग में उसने अपना खेल खेला सदा
लोगों को अपने संग जोड़ अनोखा ही संसार रचा सदा
पढ़ने पढ़ाने को सीखने सिखाने को आतुर वो
दौड़ लगाता रहा सार्वजनिक उत्थान के लिए हरदम
जीत के लिए नहीं ना ही कीर्ति, यश या वैभव की मंशा से उठे थे कभी उसके कदम
अरे ऐसे विरले शख्स तो जन्म लेते हैं ये दर्शाने के लिए
कि सपने पूरे करने की ज़िद भी पालो
तो पालो खुद से जीतने के लिए
न पालो इसे कभी भी शह और मात के खेल के लिए
जानते हैं वो शख्स कौन थे जो ये शिक्षा दे गए
वो हमारे ग्यारहवें राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम थे
थे तो वो भारत रत्न से सम्मानित एक एयरोस्पेस इंजीनियर
किंतु अपने आपमें वो एक सम्पूर्ण संस्थान थे
© डॉ अर्चना टंडन
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