व्यक्तिपूजन और वंशवाद
वंशवाद हर संस्था के लिए एक अभिशाप है
समाज को गर्त में ले जाने वाली व्यक्तिपूजन की परंपरा को जन्म देता एक वांशिक अनुराग है
एक दबी हुई मंशा का स्वरूप है
संकीर्णता लिए हर विदूषी को शतरंज की बाजी में मात देने की मंशा से अभिशप्त है
इस संसार में सब एक समान हों
एक मापदंड पर तोले जाएं ये संभव नही
पर सिंघासन पर बिठा कुछ को पूजा जाए
और अन्य ज्यादा सक्षम को नकारा जाए
ये घातक ही नही, समाज व देशहित का प्रतिरोधक भी है।।
डॉ अर्चना टंडन
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