खोज
दुनिया की फ़िक़्र -ओ-तहक़ीक़ ने
हमें दीवाना बना दिया खुदा का
तलाश शुरू हुई फिर खुदा की
तो उसे खुद में वा-बस्ता पाया ।।
नज़रें मिलीं मिल के झुकीं
शायद सब पढ़ लिया था उसने
देख रंगरेज़ का रंग
पर्दा गिराना ही सही समझा था उसने
दुःख क्या है कभी सोचा नहीं
ख़ुशी को तो हमेशा क्षणिक ही समझा
आनी जानी ही है जब ईश्वर की हर सौगात
तो छल प्रपंच को किया न कभी आत्मसात
तो छल प्रपंच को किया न कभी आत्मसात
डॉ अर्चना टंडन
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