फिर गूंजे शेर





दगा कहाँ दिल की बानगी है

ये तो दिमाग के किस्से हैं

जो किस्से दिलो दिमाग के हैं

तो समझो तैक -ऐ - हिकमह हैं



ऐसी ज़रूरतों का क्या फायदा 


कि जिन्हें पाल तुम बेनक़ाब हुए





सौदेबाजी नहीं चलती इश्क़ में

न ही ये मोहताज है रिश्वत की

किस्मत की तरह है इसकी कहानी

लिख के आती है खुदा की जुबानी


अर्चना टंडन


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