मातृभाषा का वात्सल्य



हृदय धड़कता है उत्तेजित हो

रक्त संचारित होता है

हिंदी में सृजित हर रचना से

जब वात्सल्य माँ सा मिलता है


सुनकर हिंदी उमड़ती हैं भावनाएं

लिखने को हिंदी मचलती है कोशिकाएं

विचारों के देवनागरी में लिप्यांतरित होने से

सुकून रूह को मिलता है

हिंदी में सृजित हर रचना से

जब वात्सल्य माँ सा मिलता है


बाल्यकाल से वृद्धावस्था तक 

हर काल है हिंदी में जिया 

मात्राओं के गलियारों में खो

हिंदी के वैज्ञानिक कोण को समझा

उम्र का हर दशक रहा समर्पित हिंदी को

क्योंकि हिंदी में सृजित रचना से

वात्सल्य माँ सा मिलता है


हिंदी है तो भाषाओं में ही एक भाषा

पूरी करती है ये अर्थपूर्ण वार्तालाप की अभिलाषा

रूप अनेक विभिन्न प्रदेशों में इसके

गीतों कहानियों के सृजन से हैं जो फलते

हिन्द देश की हिंदी है हम सबको प्यारी

क्योंकि हिंदी में सृजित हर रचना से

वात्सल्य माँ सा मिलता है


डॉ अर्चना टंडन

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