सपने



सपने जब सच हुए

तो लगा कि अब क्या 

समापन रेखा के उस पार क्या होगा

खालीपन का एहसास हुआ

और एक नए सपने ने जन्म लिया


कुछ सपने ऐसे थे 

जो बुनते बुनते ही खत्म हो गए थे

और दर्द का एहसास करा गए थे

उन्हें भुलाने के लिए

सपने तो बुनने ही थे


जब तक जिंदा हैं

सपने देखना और 

उन्हें पूरा करने में जुट जाना

ही तो ज़िंदादिली की निशानी है

सपनों का अंत तो मौत है


सपनों में डूबना

तल्लीनता में खोना

ऐसा हो कि सपना मायने रक्खे 

पूरा होना या अधूरा रहना नहीं

फिर तो जीवन में भी मोक्ष

और मौत में भी मोक्ष


©डॉ अर्चना टंडन

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