मिट्टी की खुशबू
जब भी बरसता है झमाझम सावन
मिट्टी की सोंधी खुशबू
याद दिलाती है कुछ यादें पावन
वो पल जो पहली बारिश के
संग थे बिताए तुम्हारे
घूम जाते हैं एक चलचित्र सरीखे
आँखों के सामने हमारे
मिट्टी की सुगंध और बारिश का वेग
कैसे तब मन तर कर जाते थे
बेसुकुनियत से घिरे हम बारिश में
सुकुनियत के हिलोरे कैसे खाते थे
याद है तुम्हें कि चाय की चुस्कियां भी
हमने कैसे भीगते हुए ही लीं थीं
और बचपन के पलों को याद कर
सहर्ष फुगड़ी भी खेली थी
तब से अगर हर साल मुझे सावन का
इंतज़ार रहता है
तो सिर्फ उस सोंधी मिट्टी की खुशबू
से जुड़ी यादों की खातिर
क्योंकि शायद आज भी वो सोंधी खुशबू
बचपन की यादें और
भीगते हुए तुम्हारी महक की चाहत
का एहसास कराती है
©डॉ अर्चना टंडन
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