शिक्षा में कालाबाज़ारी का जाल
जाल नहीं जंजाल था काले धन का बाज़ार था बच्चों को लूटने का इंतज़ाम लिए दलालों द्वारा सृजित वो एक विषम व्यापारिक संसार था धोखा, लूट-खसोट और फरेब यहाँ बेहिसाब थे धनाढ्यों के विश्वविद्यालयों में घुसने के जो द्वार थे पैसा ले कर फिरकी की तरह नचाने में माहिर, चलाने वाले जहाँ नक़ाब ओढ़े अनगिनत ख्वाबों के सौदागर थे उम्मीद है शिक्षा के क्षेत्र से ये कालाबाज़ारी हटेगी कोई तो सरकार आएगी जो ये मंडी बंद करवाएगी बच्चों की मासूमियत को बरकरार रखने का इंतज़ाम कर योग्यता को ही सिर्फ शिक्षा का आधार बनाएगी डॉ अर्चना टंडन