मेरी मधुशाला



इसे हरिवंशराय जी की महान
 कृति का असर कहूँ 
या खुद पर इस जीवनस्वरूपी
 मधुशाला का असर 
ये कह नहीं सकती
पर आज कुछ पंक्तियाँ
 मधुशाला का असर लिए हुए

ज्ञात होता जो इस रसिका को
क्या क्या उसको है भाता
राह अनेक नित नई पकड़ वो
रोज़ न पीती नई हाला

प्रयोग अनेक उसे हैं भाते
जीवन रुपी नृत्य-नाटिका प्यारी 
जीवन की विस्तृत परिकल्पना को
आकृति देती है ये नारी

अनमोल पलों को चित्रित कर सहेज
आत्मिक सुख पाती ये बाला
प्यास रसिका की निरंतर बढ़ाती
जीवनस्वरूपी ये मधुशाला

©डॉ अर्चना टंडन

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