परिपेक्ष्य



हमसे वो बोले कि मैडम अपनी भाषा सुधारिये 
हम आज तक नहीं समझ पाए 
कि उनको हमारी सुसंस्कृत भाषा खली 
या फिर भाषा की दिशा 
या सच्चाई की परिभाषा


वक़्त किसी का नहीं होता 
आज तुम्हारा कल मेरा
चरित्र अपना होता है 
व्यक्तित्य अपना होता है 
जो न कोई चुरा सकता है 
न अपना सकता है 
उसपर नाज़ करो 
उसकी रक्षा करो

डॉ अर्चना टंडन 



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