कुशल राजनीतिज्ञ की परिभाषा
उसका वो चिर परिचित अंदाज़
चंद लफ़्ज़ों में
कुछ को विपरीतार्थक प्रतीक होने वाला संवाद
अत्यंत सार्थक हुआ करता था
उसके थमे से दीखने वाले विचार
हमेशा गतिशील ही रहे
फैलाव लिए हुए
किन्तु व्यवस्थित रहे
राह वो अपनी चलता रहा
आसरा सहारा देता हुआ
बिना डगमगाए वो दूसरों
को भी स्थिर करता गया
इस पाट पर पैर जमा, उस पाट को भी दायरे में रखना
एक कुशल राजनीति का द्योतक मात्र था
राजनीति जो प्रगतिशील थी
राजनीति जो उदीयमान थी
राजनीति जो जोड़वाली थी
राजनीति जो चारित्रिक विश्लेषण से परे थी
राजनीति जो विकासशील थी
पाट को पाट से जोड़ती एक अनुबंध थी
सूर्योदय से सूर्यास्त तक
आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन के लिए प्रतिबद्ध थी
डॉ अर्चना टंडन
Comments