गडमड है भाई ,सब गडमड है






गडमड है भाई 
सब गडमड है

जिस्म तलाशता है रास्ते
सुख चैन पाने के वास्ते
रूह तलाशती है रास्ते 
ज़िन्दगी का मर्म समझने के वास्ते


खोया हुआ दुनिया की चालों में 
ज़िन्दगी की हसीन वादियों में 
आड़े तिरछे गडमड रास्तों पर चलते हुए
हर जिस्म पालता है इक आस 
रूह से एकीकरण की होती है ये प्यास
और पीछा करते हुए वो रूह का
सो जाता है एक दिन 
एक कभी न खुलने वाली नींद में
और फिर शुरू होती है एक नई तलाश
रूह ढूंढती है फिर एक जिस्म 
बिना पहचाने इस दुनिया का तिलिस्म
खो जाती है रूह फिर से
और फिर शुरू हो जाता है 
एक कभी न ख़त्म होनेवाला खेल
उंच नीच का
हटो बचो का
पकड़न पकड़ाई का 
जिंदगी की धेलम-पेल का


गडमड है भाई
सब गडमड है

गडमड रास्तों पर चलते हुए 
जिंदगी की उलझन को सुलझा
पा गया रूह को जो जिस्म 
और पहचान लिया जिस जिस्म ने
इस भूल भुलैया का तिलिस्म
तो ले लेंगे गडमड रास्ते
उसके लिए एक प्रकाशमयी स्वरुप
और रूह को आत्मसात कर 
जिस्म वह ,पा लेगा एक अलौकिक रूप 


डॉ अर्चना टंडन




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