मंथन






जो आत्मबल द्वारा अर्जित दौलत पर विशवास रख पाओगे

तो दुःख क्लेश द्वेष को परे रख तृप्त हो जाओगे


जो दगा देके कमा पाने से बच पाओगे

तो आशीर्वाद ,विश्वास और इज्ज़त कमा जाओगे


जो ईमान धरम अपना गिरवी रख जाओगे

तो परतंत्र रह , क्या सुखी रह पाओगे





स्वतंत्रता का आनंद भी तो तभी उठा पाओगे

जब जरूरतमंदों को आसरा दे , ख़ुशी दे जाओगे  


शांत चित्त मन से सफलता को जो अपनाओगे

तो जीवन के रंगों का आनंद सही मायनों में ले पाओगे


गैरों को श्रेय देते हुए जो अपनी तरक्की पर न इतराओगे  

तो अंतिम यात्रा पर भी इक मुस्कान लिए जा पाओगे




अर्चना टंडन 


Comments

Popular posts from this blog

बेशकीमती लिबास

Beyond Recognition: Discovering Peace in One's Own Existence

VIOLENCE AGAINST DOCTORS