मै और तुम
हम थे आधे अधूरे
मिल कर हुए थे पूरे
कुछ मैं थी कुछ तुम थे
फिर मिलकर हुए हम थे
अधूरे हम कुछ पूर्ण होने का विश्वास लिए
जीवन का सफ़र अनवरत तय करते गए
कभी उलझते कभी सुलझते
कदम से कदम मिला चल दिए
समय ने भी मुश्किलों को परे हटा दिया
बेचैनियों को हौले हौले चैन में तब्दील कर दिया
जीवन की दौड़ जैसे फिर अपने आगोश में भर रही थी
आत्मा भी तृप्त हो स्पंदन महसूस कर रही थी
वक़्त गुजरा और आत्मविश्वास और प्रबल हुआ
हौले हौले उसने नाउम्मीदी को उम्मीद में तब्दील किया
कुछ पाने कुछ कर गुजरने की आस में चलते रहे हम
एक दूसरे को पाकर और सबल हुए थे हम
-- अर्चना टंडन
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