गुरुत्वाकर्षण
गुरुत्वाकर्षण का केंद्र
मुझमें है और तुम में भी
धरती में है और मंगल में भी
सूरज में है और चाँद में भी
और हम सब को खींच रहा है
अपने ही अंदर के देवत्व का आकर्षण
जिसे सब कहते हैं गुरुत्वाकर्षण
अपने गुरुत्वाकर्षण से खींचते दूसरों के से खिंचते
कभी रोते तो कभी हँसते गाते कभी रुलाते तो कभी हँसाते
कुछ पल जीते कुछ जिलाते कुछ को सहारा देते तो कुछ से लेते
कुछ हासिल करने की चाह लिए कभी कुछ खोते कभी पाते
चले जा रहे हैं उसके गुरुत्वाकर्षण से खिंचे
उस गुरु से मिलने उसके अंदर समाने
उस अनंत परमात्मा का आकर्षण
ही है असली गुरुत्वाकर्षण
-- अर्चना टंडन
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