परीक्षा काल



दरख्तों पर हवा में झूमती सूखी टहनियां

वो चमकता नीला आसमान

ज़मीन पर झरे सूखे चरमराते पत्ते

न केवल ग्रीष्म ऋतु के आने का उद्घोश कर रहे थे

अपितु याद दिला रहे थे

उस काल का जब 

मन सिहर उठता था 

आने वाली परीक्षाओं से

और हम निकल पड़ते थे

उत्तीर्ण होने की इक आस लिए  

आत्म विश्वास से लबरेज़

पूरी तत्परता से


डॉ अर्चना टंडन

Comments

Popular posts from this blog

रुद्राभिषेक

खुद्दारी और हक़

VIOLENCE AGAINST DOCTORS