इंसान प्रदत्त दलदल
The link to the video where I explain as to what goes in to penning this poem.
कायम रखने की
आज़ादी एहसासों की
स्वतंत्रता दर्शाने की
आज़ादी पक्ष-विपक्ष के दुराव से दूर
अपना मत रखने की
खोती जा रही है
इस वैश्विक औद्योगिकरण में
महती को गई है आकांक्षाएं
येन केन प्रकारेण पदस्थ हो
सिरमौर होने की
एक ऐसा दलदल है यहाँ, जहाँ
बहता पानी होना अभिशाप है
स्थिर भूमि होना अभिशाप है
विशेष श्वसन यंत्र होना अभिशाप है
नमकीन पानी में प्यास बुझाने के लिये
निर्मल जल संचित करना अभिशाप है
इसका ये मतलब नहीं
कि आशा ही खो दें
बल्कि विश्वास को अपने बल दें
कि ईश्वरीय शक्ति सर्वोपरि है
क्योंकि दलदल में भी
कमल खिलते देखे गए हैं
डॉ अर्चना टंडन
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