उसका अदालती फरमान
आज हम कटघरे में थे शहर उसका, कचहरी उसकी क़ाज़ी उसका, मुख्तार उसका अपना मुख्तार भी कहाँ अपना था मुद्दई भी वो था और कानून भी उसका तो गुनाहगार कौन होता फैसला भी तुरंत आ गया और सज़ा भी मुक़र्रर हुई तयशुदा घेराव को अंजाम देती हुई और हम ने इसे एक ईश्वरीय आपदा मान कर स्वीकार कर लिया और खुद को खुद के आगोश में भर लिया डॉ अर्चना टंडन