राहे- रूह


सांसारिक भूल भुलैया देती है एक स्वरूप 
हर आत्मा को
इंसान की क्या औकात
जो छुपा सके प्रत्यक्ष को ?
वजह कहाँ होती है ?
इस छुपन छुपाई के खेल में
ये तो प्रसाद हैं, आशीर्वाद है,
अनुकम्पा है,इक राह है
या यूँ कहें कि
ये राह में आने वाले ठहराव 
विद्यालय हैं, आश्रय हैं, 
ओट के  द्योतक हैं
हर विचरते प्राणी के लिए
ताकि पहुँच सके वो सुरक्षित
उस राह से गंतव्य तक
बस गंतव्य को पहचानने की देर है

डॉ अर्चना टंडन 




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