ये देश है मेरा
गलियारों से निकलो
चौराहों से निकलो
देश प्रदेश के व्यवधानों से उभरो
इन सीमाओं और सीमान्त के अंगारों से निकलो
मानवता को सर्वोपरि मान
सेवाभाव का परचम लहराओ
ये आँगन है मेरा
इस साम्राज्य का हर चौराहा है मेरा
सीमान्त की परिभाषा में कैसे सिमटूँ मैं
जब सारा जग ही है मेरा
हर आँगन हर चौराहे की पहचान बनानी है
प्रदेश की सीमाओं को भी हटाना है
देश प्रदेश का भेद भाव मिटा
सीमांतों से परे निकल
संसार को आगे बढ़ाना है
-- डॉ अर्चना टंडन
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