ये कैसा इन्साफ ?
ये कैसा इन्साफ ?
ये कैसा इन्साफ है तेरा हे ईश्वर
मासूमों पर ये ज़ुल्म क्यूँ ?
ये देहशत्गर्द भी तो हैं तेरे ही बन्दे
तो उनपर तेरी पकड़ ढीली क्यूँ ?
ये तो फूल थे किसी बगिया के
इन्हें तो अभी पूरी तरह खिलना था
तू बचा न पाया इन्हें उन दैत्यों के चंगुल से
और वो दैत्य उजाड़ गए घर सैकड़ों के
बता इन मासूमों पर हुआ ज़ुल्म कैसे मैं बर्दाश्त करूं ?
तू है , यक़ीनन है इस पर कैसे मैं विश्वास करूँ ?
तू है तो इन रोती बिलखती माओं को यकीन दिला
उन देह्शत्गर्दों को दे उनके किये की सजा
अगर है कहीं तू तो आ सामने आ
पाप पुण्य और इस जीवन चक्र का गणित मुझे समझा
नहीं रह गया यकीन मुझे तेरे होने पर अब
कुछ चमत्कार दिखा लौटेगा मेरा विश्वास तेरे होने पर तब
अर्चना टंडन
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