रुद्राभिषेक
यथार्थ तुम विश्वास तुम तुम निरंतरता का एहसास हो वंशानुगत परिकल्पनाओं के संचालक तुम पिनाकी का संरक्षक स्वरूप हो प्रेम की एक अभिकल्पना तुम तुम कालांतर का दोहराव हो मनमोहनी भाव भंगिमाओं से अभिभूत करते तुम एक आत्मिक ठहराव का विस्तार हो हर हृदय बसे आराध्य का प्रतिरूप तुम तुम सम्मोहन का एक प्रकार हो अद्वितीय राशि का प्रतिफल तुम तुम बल, बुद्धि और शक्ति का समायोजन हो संबंधों में प्रगाढ़ता के स्रोत तुम तुम संगठित शक्ति की मीमांसा हो स्वप्नलोक में विचर मुस्कुराते तुम एक चित्ताकर्षक दैहिक आकार हो विद्यमान संरचनाओं के परे जा तुम एक नया अपना कथानक रचना चौदह लोकों के परे जा तुम रुद्र अर्जुन सा संतुलित पंद्रहवां लोक गढ़ना डॉ अर्चना टंडन