दुर्गाष्टमी के सही मायने
आज तार तार है जीर्ण-क्षीर्ण हर लक्ष्मी हर सरस्वती और हर राधा का चीर तो सिर्फ इसलिए कि हर लक्ष्मी दुर्गा न हो सकी हर राधा प्रेमिका बन सुरक्षित न रह सकी हर सरस्वती विद्यालय न जा सकी हर वार उनका दुर्गा को शांत करने का था चरित्र के चीर हरण का था राजनीती कूटनीति सब क्षमताएं लगा दीं वो सौ थे दुर्गा अकेली पर फिर भी नवमी मनी वो दिन आया जब महिषासुर मारा गया देवों के देव भी जो न कर सके वो दुर्गा ने कर दिखाया अगर अन्याय होता देख भी सब मौन रहेंगे तो अन्याय को नष्ट कैसे करेंगे दुर्गाष्टमी पर दुर्गा को नमन कैसे कर सकेंगे? डॉ अर्चना टंडन